श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के विकास के लिए जो योजनाएं लागू की, उनका काम आज भी बोलता है जबकि भाजपा सरकार का काम समाजवादी सरकार के समय हुए काम पर अपने नाम की मुहर लगाना भर रह गया है। भाजपा की पहली ऐसी सरकार है जिसे करना कुछ नहीं है सिर्फ विवाद पैदा करना ही उनकी उपलब्धि हैं। एक वर्ष में ही भाजपा सरकार इतनी अलोकप्रिय हो गई है कि लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि राज्य में कोई निर्वाचित सरकार भी अस्तित्व में है।
इन दिनों भाजपा के मंत्रियों को एक नया काम मिला हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव, उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों तथा समाजवादी सरकार के विकास कार्यों पर व्यर्थ प्रश्न चिह्न लगाना और उनकी छवि बिगाड़ने का कुत्सित प्रयास करना। प्रदेश के सामने जो समस्याएं हैं उनकी तरफ भाजपा का ध्यान नहीं है। भाजपा की निष्क्रियता और अपसंस्कृति से आभास हो चला है कि उसका एकमात्र उद्देश्य राजनीति को अंत्याक्षरी के रूप में परिवर्तित कर देने का है।
सच तो यह है कि जनहित में श्री अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में जो विकास कार्य किए थे जनता उनसे ही परिचित है। जनता यह भी कहने लगी है कि भाजपा से तो श्री अखिलेश यादव हजार गुना बेहतर मुख्यमंत्री थे। भाजपाई इस सबसे तिलमिला गए हैं। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे को भाजपा सरकार भी देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस-वे मानती है। गाजियाबाद में जिस एलिवेटेड सड़क का कथित उद्घाटन मुख्यमंत्री जी ने किया है, वह भी समाजवादी सरकार की देन है। इस सच्चाई को स्वीकार करने और इसका श्रेय श्री अखिलेश यादव को देने में भाजपा को क्यों शर्म आती है?
किसान बुरी तरह परेशान है, कर्जमाफी धोखा साबित हुआ। उल्टे अब किसानों से वसूली हो रही है। नौजवान रोजगार के लिए परेशान हैं। शिक्षक बदहाल हैं। महिलाएं असुरक्षित हैं। व्यापार चैपट है। श्री अखिलेश यादव यही तो पूछ रहे हैं कि किसानों के साथ कर्जमाफी के नाम पर धोखाधड़ी क्यों? यूपी 100 डायल जैसी शानदार अपराध नियंत्रण की योजना क्यों बदनाम की गई? अपराधियों पर लगाम कसने वाले तमाम कानूनों के रहते हुए यूपीकोका की क्या जरूरत आ पड़ी?
श्री अखिलेश यादव जब भाजपा से जनता के सवाल पूछते हैं तो बौखलाहट क्यों दिखाई जाती है? सरकारों की जिम्मेदारी है कि उन्हें जन समस्याओं का जवाब समाधान से देना चाहिए। लोकतंत्र की सामान्य व्यवस्थाओं की भी अनदेखी करना भाजपा की आदत में शुमार है। राजनीति में इतनी गिरावट इन्हीं दिनों भाजपा राज में देखने को मिल रही है। अपनी अकर्मण्यता पर पर्दा डालने के लिए सीना ठोंककर झूठे दावे करना भाजपा का चरित्र दर्शाता है कि भाजपाइयों में लोकलाज का अभाव है। असहमति को विरोध मानना अथवा उसमें शत्रुता का भाव आ जाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
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