Skip to main content

Posts

Showing posts with the label times of india

Ad

मी टू में हिंदी पट्टी या हिंदी मीडिया की लड़कियां क्यों नहीं लिख रही है? #Metoo

कई लोगों को लिखते-पढ़ते देख रहा हूं कि मी टू में हिंदी पट्टी या हिंदी मीडिया की लड़कियां क्यों नहीं लिख रही है? क्यों नहीं हिंदी मीडिया में यह विमर्श नहीं बन पा रहा है? हैरानी की बात है कि ऐसा सवाल उठाने वालों में कुछ हिंदी जमात के भी लोग हैं। पहली बात कि कुछ हिंदी मीडिया की लड़कियों ने भी बड़ी बेबाकी से आवाज उठायी। ऐसे में उल्टे सवाल उनसे पूछे जाने चाहिए कि उन्होंने इस आवाज को जहग क्यों नहीं दी? नजर नहीं गयी तो इसमें उसका नहीं कसूर,आपके पूर्वाग्रह का कसूर। दो मामले तो स्प्ष् ट वाकये के साथ लिखा हुआ मैं देख चुका हूं। दूसरी बात कि अगर नहीं उठ पा रहा है तो उसकी वजह सामाजिक है। इसका मीडिया से कोई संबंध नहीं है। या तो वे अब बड़े बुद्धिजीवी बनकर खान मार्केट-लैटिन वर्ड बोलने वाला इंटलेक्चुल कहलाने की कोशिश में लगे हैं जो दलाली छोड़कर लाइजिन में जाने को आतुर हैं या उन्हें कुछ संभल कर सामाजिक दृष्टिकोण को नये सिरे से समझने की जरूरत है। बात सिर्फ मीडिया की नहीं है। हिंदी पट्टी की अधिकतम लड़कियां अभी सामाजिक स्तर पर ट्रांसफोरमेशन के दौर से गुजर रही हैं। यह सही है कि अब लड़कियों को बेहतर ए

Ad