पिछले दो दिनों में देश दिनदहाड़े लोकतंत्र के साथ न्याय की हत्या का गवाह रहा है। सत्ता में बैठे लोगों द्वारा सीबीआई/ईडी का इस्तेमाल राजनैतिक रंजिश के तौर पर किया जा रहा है, पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ दुर्व्यवहार, दुर्भावनापूर्ण और सुनियोजित तरीके मुकदमा चलाया जा रहा है, जो मोदी सरकार द्वारा निजी और राजनीतिक प्रतिशोध से कम नहीं है, उनके नियंत्रण से बाहर हो रही अर्थव्यवस्था, बढ़ती बेरोजगारी, रुपये के अवमूल्यन और सभी क्षेत्रों में बेलगाम संकट के बीच अब हम वो सब देखेंगे, जो एक हताश मोदी सरकार 2.0 देश का ध्यान हटाने के लिए करेगी, कुछेक कठपुतली समाचार चैनलों के साथ सांठ-गाँठ करके भाजपा प्रचार मशीन पूरी तरह से बेबुनियाद, नकली समाचार और एकमुश्त झूठ के लिए काम करती है। तथ्य उनके दावे का समर्थन नहीं करते हैं, मामला 2007 से संबंधित है और पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी मामले के 12 साल बाद और पीएम मोदी के सत्ता में आने के 6 साल बाद होती है। न तो उन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्हें FIPB की अनुमति दी गई है, न ही कंपनी के अधिकारियों को, जिन्होंने अपराध किया है, 40 साल
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