वायु सेना द्वारा मांगे गये 126 में से 90 हवाई जहाज घटाकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता क्यों किया गया मोदीजी।
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AICC Media Byte by former Finance Minister P Chidambaram on Rafale |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आज प्रेसवार्ता को संबोधित किया और कहा की - अगर मोदी सरकार ये सोच रही है कि वो राफेल घोटाले को दबाने में सफल रही है, तो वो गलत सोच रही है। आज इसमें एक नया आयाम जुड़ गया है, 10 अप्रैल, 2015 को जब पीएम मोदी ने यूपीए वाले सौदे को रद्द किया और नये सौदे की घोषणा की, तो एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया - सरकार ने वायुसेना की 126 विमानों की जरूरत को खारिज करके केवल 36 विमान खरीदने का फैसला क्यों किया? इसका जवाब नहीं दिया गया.
'द हिंदू' अखबार में छपी नयी रिपोर्ट के मुताबिक़ -
2007 में UPA द्वारा तय कीमत 79.3 मिलियन यूरो थी। 2011 में यह 100.85 मिलियन यूरो हो गई। 2016 में मोदी सरकार ने 9% की छूट हासिल की लेकिन वो छूट 126 विमानों के लिए नहीं, 36 विमानों के लिए थी.
वायु सेना ने भारत के हिसाब से 13 विशिष्ट बदलाव के लिए कहा था, जिसके लिए यूपीए सौदे और एनडीए सौदे में 1.3 बिलियन यूरो का भुगतान किया जाना था, लेकिन ये भुगतान यूपीए सौदे में 126 विमानों के लिए था, जबकि एनडीए सौदे में सिर्फ 36 विमानों के लिए है,अगर 126 हवाई जहाज खरीदे जाते तो दसॉल्ट को 10 साल और 6 महीने में 1300 मिलियन / 1.3 बिलियन यूरो मिलते। 36 हवाई जहाजों के साथ वो सिर्फ 36 महीनों में ही इसे वसूल लेगी, दसॉल्ट को दो तरह से फायदा हुआ - प्रति विमान मूल्य में वृद्धि और मुद्रा का शुद्ध वर्तमान मूल्य।
यह एनडीए सरकार द्वारा दसॉल्ट को तोहफा है, यदि सरकार दसॉल्ट को बाकी 90 विमानों की खरीद का आदेश देती है तो दसॉल्ट फिर से भारत के हिसाब से विशिष्ट बदलावों की कीमत वसूलेगा, दसॉल्ट को चारों तरफ से भारी मुनाफा हो रहा है। सरकार ने 2 तरीकों से देश को नुकसान पहुंचाया - वायु सेना द्वारा मांगे गये 126 में से 90 हवाई जहाजों घटाकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया और लोगों की गाढ़ी कमाई को लुटाया, इसमें कोई संदेह नहीं है कि राफेल सौदे की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा गहराई से जांच की जानी चाहिए, हम JPC जांच की अपनी मांग फिर से दोहराते हैं.
यह एनडीए सरकार द्वारा दसॉल्ट को तोहफा है, यदि सरकार दसॉल्ट को बाकी 90 विमानों की खरीद का आदेश देती है तो दसॉल्ट फिर से भारत के हिसाब से विशिष्ट बदलावों की कीमत वसूलेगा, दसॉल्ट को चारों तरफ से भारी मुनाफा हो रहा है। सरकार ने 2 तरीकों से देश को नुकसान पहुंचाया - वायु सेना द्वारा मांगे गये 126 में से 90 हवाई जहाजों घटाकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया और लोगों की गाढ़ी कमाई को लुटाया, इसमें कोई संदेह नहीं है कि राफेल सौदे की संयुक्त संसदीय समिति द्वारा गहराई से जांच की जानी चाहिए, हम JPC जांच की अपनी मांग फिर से दोहराते हैं.
Indian National Congress Senior Leader P. Chidambaram Address The media Today on Rafale Deal, He said 90 Rafale Khaaya Modi There After He Told The Media that - If the Modi govt had hoped that it had succeeded in giving a quiet burial to the Rafale scam, then they are wrong. Today it has acquired a new dimension, Ever since 10th April, 2015, when PM Modi scrapped the UPA's deal and announced new deal, one question has loomed large- Why did govt decide to reject IAF's need of 126 aircrafts and decide to buy only 36? It has never been answered.
New report published by The Hindu makes following points-
1. Price negotiated by UPA govt in 2007 was €79.3mn/bare aircraft. That price escalated to €100.85mn in 2011. In 2016, discount of 9% brought down the price after factoring escalation.
Airforce had asked for 13 India-specific enhancements, the negotiated price was €1.3bn that was to be paid in UPA deal and NDA deal, however, this was spread over 126 aircrafts in UPA deal, but in NDA deal it is spread over 36 aircrafts.If 126 aircrafts had been purchased, Dassault would've recovered €1300mn/€1.3bn over 10 years & 6 months. With only 36 aircrafts, this will be recovered in 36 months.Dassault gains in two ways- increase of price per aircraft and net present value of money. This is the gift to Dassault by NDA govt. Should the govt order for another 90 aircrafts, Dassault will again charge for India-specific enhancements.The Dassault is laughing all the way to the bank. The govt has wronged the country in 2 ways- compromised national security by denying 90 aircrafts and cost the public money.We reiterate our demand that there is no doubt that Rafale deal deserves to be examined thoroughly by a Joint Parliamentary Committee.
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