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दिल्ली में AAP की जीत के बाद पुण्य प्रसून बाजपाई का बीजेपी पर जबरदस्त मास्टर स्ट्रोक, पढ़िए विस्तार से !

Punya Prasun Bajpai's Master Stroke on Delhi Election Results 2020 तो क्या मोदी-शाह की राजनीति की मियाद पूरी हुई ------------------------------------------------------ दिल्ली में केजरीवाल की जीत वैक्ल्पिक राजनीति से कहीं ज्यादा वैक्लपिक इक्नामी की जीत है । एक तरफ राष्ट्रवाद की चादर ओढे मोदी की राजनीति तो दूरी तरफ कल्याणकारी योजनाओ तले केजरीवाल की अर्थव्यवस्था । जिस दौर में मोदीइक्नामिक्स निजीकरण को ही जीडीपी से लेकर रोजगार और औघोगिक विकास से लेकर बाजार के लिये महत्वपूर्ण मान चुके है तब केजरीवाल की इक्नामिक्स ने वेलफेयर स्टेट का मतलब क्या होता है ये अमल में लाना शुरु किया । जाहिर है ये सोच जितने सरोकारो के साथ आम लोगो से दिल्ली में जुडी उसने झटके में केजरीवाल की साख बनाम मोदी की साख की प्रतिद्न्दिता खडी कर दी । एक तरफ मोदी के वादे थे तो दूसरी तरफ केजरीवाल सरकार के कार्य । और वोटरो से संकेत यही उभरा कि दिल्ली के चुनाव परिणाम अब ना सिर्फ बीजेपी बल्कि तमाम क्षत्रपो के सामने चुनौती है कि वह क्लयाणकारी राज्य की अवधारणा को दुबारा अपना लें । साथ ही सामानांतर में सवाल ये भी है कि

दुनिया का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश बनाना रिपब्लिक की राह पर है - पुण्य प्रसून बाजपाई

दुनिया का सबसे बडा लोकतांत्रिक देश बनाना रिपब्लिक की राह पर है, ये आवाज 2011 से 2014 के बीच जितनी तेज थी, 2014 के बाद उतनी ही मंद है या कहें अब कोई नहीं कहता कि भारत बनाना रिपब्लिक की दिशा में है। 2011 में देश के सर्वप्रमुख व्यवसायी रतन टाटा ने कहा भारत भी बनाना रिपब्लिक बनने की दिशा में अग्रसर है। साल भर बाद अप्रैल 2012 में भारत के वित्त सचिव आर. एस. गुजराल ने वोडाफोन को कर चुकाने के केन्द्र सरकार के आदेश के परिप्रेक्ष्य में कहा था कि भारत अभी बनाना रिपब्लिक नहीं है कि कोई विदेशी कम्पनी अपने आर्थिक लाभ को भुनाने भारत की ओर रुख कर ले और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें। तीन महीने बाद ही 2012 में राबर्ट वाड्रा ने तंज कसा मैंगो पीपुल इन बनाना रिपब्लिक । अगले ही बरस कश्मीर को लेकर मुफ्ती मोहम्मद इतने गुस्से में आ गये कि 2013 में उन्होंने भारत की नीतियों के मद्देनजर देश को बनाना रिपब्लिक कहने में गुरेज नहीं की । और याद कीजिये 2014 लोकसभा चुनाव के परिणामो से ऐन पहले 8 मई को नरेन्द्र मोदी को एक खास जगह सिर्फ प्रेस कान्फ्रेंस करने से रोका गया तो अरुण जेटली को भारत बनाना रिपब्लिक नजर आन

अरबों रुपये लुटाकर जो संसद पहुंचा, वह तो देश लूटेगा ही और सत्ता-संसद ही उसे बचाएगी 🔥

अरबों रुपये लुटाकर जो संसद पहुंचा, वह तो देश लूटेगा ही और सत्ता-संसद ही उसे बचाएगी ------------------------------------------------------------------------------ एक मार्च 2016 को विजय माल्या संसद के सेन्ट्रल हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलते हैं। दो मार्च को रात ग्यारह बजे दर्जन भर बक्सों के साथ जेय एयरवेज की फ्लाइट से लंदन रवाना हो जाते हैं। फ्लाइट के अधिकारी माल्या को विशेष यात्री के तौर पर सारी सुविधाये देते हैं। और उसके बाद देश में शुरु होता है माल्या के खिलाफ कार्रवाई करने का सिलसिला या कहें कार्रवाई दिखाने का सिलसिला। क्योंकि देश छोड़ने के बाद देश के 17 बैंक सुप्रीम कोर्ट में विजय माल्या के खिलाफ याचिका डालते हैं। जिसमें बैक से कर्ज लेकर अरबो रुपये ना लौटाने का जिक्र होता है और सभी बैंक गुहार लगाते है कि माल्या देश छोड़कर ना भाग जाये इस दिशा में जरुरी कार्रवाई करें। माल्या के देश छोडने के बाद ईडी भी माल्या के देश छोडने के बाद अपने एयरलाइन्स के लिये लिये गये 900 करोड रुपये देश से बाहर भेजने का केस दर्ज करता है। माल्या के देश छोडने के बाद 13 मार्च को हैदराबाद हाईकोर्

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