Activist Medha Patkar's Reaction on PM Modi's 69th Birthday *जन्मदिन नहीं, धिक्कार दिवस* नर्मदा घाटी में आज का दिन, किसी मंत्री या प्रधानमंत्री का जन्मदिन नहीं, धिक्कार दिवस है। घाटी के गांवों की कब्र पर महल बनाना चाहने वालों को "सबका साथ, सबका विकास" का नारा नहीं देना चाहिए। उनका संकल्प पत्र पानी भरने का , कंपनियों को बख्शने का है। विस्थापितों को क्या, गुजरात के किसान और सूखाग्रस्तों को सही लाभ नहीं दे रहे हैं। मध्य प्रदेश के मैदानी गांवों में सर्वेक्षण और बैकवाटर लेवल का खेल, आंकड़ों और पैसों का बड़ा घोटाला, संवादहीनता के साथ-2 भ्रष्टाचार किया और पुनर्वास पूरा होने के झूठे दावे किए। आज की काँग्रेस सरकार संवाद कर रही है, गुजरात और केंद्र के सामने सवाल उठा रही है। लेकिन हजारों परिवारों का पुनर्वास बांकी है। युद्ध स्तर पर कार्य होना जरूरी था, जरूरी है। आज चिखलदा, खापरखेड़ा, जांगरवा, सेगांवा, निसरपुर जैसे गांवों की हत्या हो चुकी है ।भूर्जन के बिना कई घर, गांव, खेती डूब रही है या टापू बनी है। यह विनाश क्या जश्न मनाने लायक है? नर्मदा के किनारे ध्वस्त हैं। मंदिर
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