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भाजपा सरकार एक तरफ आरक्षण की बात करने लगी है, दूसरी तरफ नौकरी के अवसर कम हो गए हैं !

Akhilesh Yadav On reservation समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री जी सभी ‘कन्फ्यूज्ड‘ हैं। उन्होंने दो-दो शपथ ले रखी है एक आर.एस.एस. की और दूसरी संविधान की। भाजपा सरकार एक तरफ आरक्षण की बात करने लगी है, दूसरी तरफ नौकरी के अवसर कम हो गए हैं। सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर विदेश भागे उद्योगपतियों को भारत लाएंगे या नहीं, इस पर भी संशय है। अपनी कोई योजना तो ला नहीं पाए, प्रधानमंत्री जी समाजवादी सरकार में जो विकास कार्य हुए थे उनका ही फिर उद्घाटन कर रहे हैं। वह समझते है देश को कन्फ्यूज्ड किया जा सकता है। अब जनता ने भी तय कर लिया है कि इस बार भाजपा को ही फ्यूज्ड कर देंगे। प्रधानमंत्री जी ने रात में अचानक नोटबंदी घोषित कर दी, हड़बड़ी में जीएसटी लागू कर दी। इससे न तो भ्रष्टाचार कम हुआ और नहीं काला बाजार खत्म हुआ। जो कारोबार हो रहा था वह भी चैपट हो गया। प्रधानमंत्री जी ने नौजवानों से, किसानों से, महिलाओं और व्यापारियों से बड़े-बड़े वादे किए एक भी पूरा नहीं कर सके। वादा खिलाफी भी तो भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है

सवर्णों का आरक्षण 10 फ़ीसदी बढ़ाने वाले फैसले का सपाक्स संस्था ने किया समर्थन लेकिन...

भोपाल : सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंखयक वर्ग अधिकारी/ कर्मचारी संस्था (सपाक्स), सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सापक्स समाज) और समाज संस्था की युवा ईकाई संयुक्त रूप से केंद्र सरकार द्वारा सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण का स्वागत करती है बशर्ते कि यह आरक्षण निर्धारित 50% की सीमा में हो। जानकारी के अनुसार उक्त आरक्षण आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के गरीबों को दिया जाना है। सपाक्स सिद्धांत रूप में हर वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण की पक्षधर है। यह बात स्वयं मान सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ "पदोन्नति में आरक्षण" प्रकरण में कह चुकी है कि अनु जाति/ जनजाति के लिए भी क्रीमी लेयर परिभाषित की जाए। यदि केंद्र सरकार संविधान संशोधन कर निर्धारित सीमा से बढ़ाकर यह आरक्षण देती है तो सपाक्स इसका विरोध करेगी। सपाक्स सिद्धांतत: सभी वर्गों को उनकी आबादी के मान से 50% की निर्धारित सीमा में आर्थिक आधार पर आरक्षण की पक्षधर है। यदि संविधान संशोधन कर ऐसा किया जाता है तो पुन: न्यायालय में इसे चुनौती मिलेगी। ऐसी स्थिति में यह एक राजनैतिक हथकंडा और लालीपोप सिद्ध होगा। (राजीव खरे) (

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