Hardik Patel आवाज उठाई जा रही है कि जेएनयू बन्द होना चाहिए लेकिन क्यों? क्योंकि वहाँ ग़रीब का बच्चा पढ़ता हैं, वहाँ का विद्यार्थी पढ़ लिखकर देश की सेवा कर रहा हैं, वहां का विद्यार्थी इंक़लाब ज़िंदाबाद बोलता हैं, आदि आदि। लेकिन आसाराम, रामरहीम, रामपाल से लेकर नित्यानन्द और चिन्मयानंद आदि तक कितने बाबाओं के आश्रमों में यौन शोषण हुआ है बावजूद इसके तमाम आश्रम बन्द नहीं किए गए हैं ऐसा क्यों? कितने मंदिरों में आज भी अत्याचार और भेदभाव होता है लेकिन बन्द नहीं हुए क्यों? जबकि इनका देशहित में भी कोई योगदान नहीं है तो इनमें ताले क्यों नहीं लगाए जा रहे हैं? क्या? ये कह रहे हो कि सरकार ये सरकारी पैसों से नहीं चलते हैं? लेकिन सरकारी सब्सिडी तो हजम कर रहे हैं? कुंभ को ले लीजिए 4 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं इतने पैसों में तमाम सरकारी स्कूलों की फीस माफ हो सकती थी। मंदिरों और आश्रमों में अरबों की सम्पत्ति होने के बावजूद भी सरकार को टैक्स नहीं देते हैं, विज्ञान का गला घोंटकर पाखण्ड फैलाते हैं सो अलग। फिर तर्क दे रहे हो कि सब आश्रम, सभी मन्दिर व सभी बाबा ऐसे नहीं है? तो फिर जेनएयू में सब अय्याश
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