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Showing posts from November, 2019

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आवाज उठाई जा रही है कि जेएनयू बन्द होना चाहिए लेकिन क्यों? पढ़िए Hardik पटेल का ब्लॉग

Hardik Patel आवाज उठाई जा रही है कि जेएनयू बन्द होना चाहिए लेकिन क्यों? क्योंकि वहाँ ग़रीब का बच्चा पढ़ता हैं, वहाँ का विद्यार्थी पढ़ लिखकर देश की सेवा कर रहा हैं, वहां का विद्यार्थी इंक़लाब ज़िंदाबाद बोलता हैं, आदि आदि। लेकिन आसाराम, रामरहीम, रामपाल से लेकर नित्यानन्द और चिन्मयानंद आदि तक कितने बाबाओं के आश्रमों में यौन शोषण हुआ है बावजूद इसके तमाम आश्रम बन्द नहीं किए गए हैं ऐसा क्यों? कितने मंदिरों में आज भी अत्याचार और भेदभाव होता है लेकिन बन्द नहीं हुए क्यों? जबकि इनका देशहित में भी कोई योगदान नहीं है तो इनमें ताले क्यों नहीं लगाए जा रहे हैं? क्या? ये कह रहे हो कि सरकार ये सरकारी पैसों से नहीं चलते हैं? लेकिन सरकारी सब्सिडी तो हजम कर रहे हैं? कुंभ को ले लीजिए 4 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं इतने पैसों में तमाम सरकारी स्कूलों की फीस माफ हो सकती थी। मंदिरों और आश्रमों में अरबों की सम्पत्ति होने के बावजूद भी सरकार को टैक्स नहीं देते हैं, विज्ञान का गला घोंटकर पाखण्ड फैलाते हैं सो अलग। फिर तर्क दे रहे हो कि सब आश्रम, सभी मन्दिर व सभी बाबा ऐसे नहीं है? तो फिर जेनएयू में सब अय्याश

JNU की फीस बढ़ाना ज़रूरत या साज़िश? पढ़िए कन्हैया कुमार का Latest ब्लॉग

           फीस बढ़ाना ज़रूरत या साज़िश? जेएनयू की फ़ीस बढ़ाकर और लोन लेकर पढ़ने का मॉडल सामने रखकर सरकार ने एक बार फिर साफ़ कर दिया है कि विकास की उसकी परिभाषा में हमारे गाँव-कस्बों के लोग शामिल ही नहीं हैं। जिन किसान-मजदूरों के टैक्स के पैसे से विश्वविद्यालय बना, उनके ही बच्चों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा तो देश के युवा चुप बैठेंगे, ऐसा हो ही नहीं सकता। सरकार अभी सब कुछ बेच देने के मूड में है। देश के लोगों के टैक्स के पैसे से बने सरकारी उपागम लगातार निजी क्षेत्र के हवाले किए जा रहे हैंI हर साल दिल खोलकर अमीरों के करोड़ों अरबों रु के लोन माफ़ करने वाली ये सरकार सरकारी शिक्षण संस्थानों के बजट में लगातार कटौती कर रही है और शिक्षा को बाज़ार के हवाले कर रही हैI सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छुपी नहीं है और निजी स्कूल देश की बहुसंख्यक आबादी के बजट से बाहर हो चुके हैंI दम तोड़ते इन्ही सरकारी स्कूलों से पढ़कर अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा पास करके जब गरीबों के बच्चे देश के सर्वश्रेठ विश्वविद्यालय में पहुच रहे हैं तो ये बात भी देश के करोडपति सांसदों और सरकार के राग-दरबारियों को अखर रही हैI

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