मुद्रा लोन से 7 करोड़ स्वरोज़गार पैदा हुआ, अमित शाह को ये डेटा कहां से मिला मोदी जी यह न तंज है और न व्यंग्य है। न ही स्लोगन बाज़ी के लिए बनाया गया सियासी व्यंजन है। रोज़गार के डेटा को लेकर काम करने वाले बहुत पहले से एक ठोस सिस्टम की मांग करते रहे हैं जहां रोज़गार से संबंधित डेटा का संग्रह होता रहा हो। लेकिन ऐसा नहीं है कि रोज़गार का कोई डेटा ही नहीं है। चार साल बीत जाने के बाद प्रधानमंत्री को ध्यान आया है कि देश में नौकरियों को लेकर डेटा नहीं है। फिर उन्हें अमित शाह से पूछना चाहिए कि जनाब आपको यह डेटा कहां से मिला था कि मुद्रा लोन के कारण 7 करोड़ 28 लाख लोग स्वरोज़गार से जुड़े हैं। 12 जुलाई 2017 को अमित शाह का यह बयान कई जगह छपा है। अब अगर बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने मन में कोई खिचड़ी पकाई हो तो बेहतर है उन्हें प्रधानमंत्री से माफी मांग लेनी चाहिए । साथ ही किसी को उन्हें याद दिलाना चाहिए कि सर बहुत सारा अपन के पास डेटा है, बस जो भी डेटा आप देते हैं न उसे लेकर सवाल उठ जाते हैं। इसके अला्वा कोई समस्या नहीं है क्योंकि सवाल उठने के बाद भी हम चुनाव तो जीत ही जाते हैं। प्रधानमंत्
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