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Bihar Politics: पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय कब बनवाओगे पल्टूराम जी - तेजस्वी यादव

Tejashwi Yadav  आदरणीय मुख्यमंत्री जी, जुलाई 2017 में जनादेश चोरी के बाद जब बिहार में अनैतिक सरकार बनी थी तब जनादेश अपमान की शर्मिंदगी दबाने और न्यायप्रिय लोकतांत्रिक लोगों को सांत्वना देने के लिए आप ज़ोर-शोर से कहते थे कि दशकों बाद केंद्र और बिहार में एक गठबंधन की सरकार बनी है। अब डबल इंजन सरकार में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज, और केंद्रीय योजनाओं में प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन मुख्यमंत्री जी क्या हुआ? बिहार को अब भी उसका वाजिब हक क्यों नहीं मिल रहा है? पटना में भरे मंच से आपके द्वारा बार-बार मिन्नतें करने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने से इनकार कर दिया था। उसके एवज में प्रधानमंत्री ने जो विशेष आर्थिक सहायता पटना विश्वविद्यालय को देने का वादा किया था उसे आज तक पूरा नहीं किया है? क्या यही आपकी हैसियत है कि आप 100 वर्ष पुराने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा तक नहीं दिला सकते? प्रधानमंत्री को उनका बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का टेप और video क्यों नहीं दिखाते? जैसा आप 15 लाख सबक

“दिल की बात- तेज़ भाई की सगाई और पिता जी की अनुपस्थिति” - तेजश्वी यादव

“दिल की बात- तेज़ भाई की सगाई और पिता जी की अनुपस्थिति” हम सभी नौ भाई-बहनों ने जीवन के हर सफर की शुरुआत हमेशा हमने पिताजी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेकर ही की है, लेकिन कल मन थोड़ा व्यथित था कि तेज़ भाई के नए सफर की शुरुआत में उनका विराट व्यक्तित्व शारीरिक रूप से ख़ुशी की घडी में हमारे साथ शरीक नहीं था। सुख के क्षणों में हमने पिता की कमी महसूस की। हालाँकि मानसिक और वैचारिक रूप से सदैव वो हमारे अंग-संग रहते है। बचपन से सुनते आया हूँ वो हमें अक्सर कहते है, जो जनसेवा को समर्पित हो उसका कोई निजी जीवन नहीं होता, निजी खुशियां नहीं होती, निजी दुःख नहीं होता। जन-जन के संघर्ष के आगे परिवार की खुशियों का कोई मोल नहीं है। भाई के सगाई समारोह में पिता जी की यही बात बार-बार याद आ रही थी। भाई के नए सफर पर पिता के आशीर्वाद का हाथ उनके सिर पर नहीं था, ये शायद पहली बार था। पिता की कमी बहुत खली, लेकिन उनकी ये सीख हमारे साथ रही की निजी सुख-दुःख से ऊपर होकर हमारा जीवन बिहार के लिए समर्पित है और रहेगा। कई बार समझौते आपको और आपके परिवार को सुकून के पल और खुशियां दे जाते हैं । मेरे पिता ने आवाम क

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