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2014 में अर्थव्यवस्था खस्ताहाल थी,आज 2019 में भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है !

            Home Minister Shri Amit Shah is addressing the 7th convocation of Pandit Deen Dayal Upadhyay Petroleum University. अमित शाह ने कहा की आने वाला जमाना पर्यावरण का जमाना है। अगर हम आने वाले समय में global warming की चिंता नहीं करेंगे तो हम दुनिया को स्वस्थ और सुन्दर नहीं देख पाएंगे, पंडित दीन दयाल उपाध्याय पेट्रोलियम विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। अल्प समय में ही आज ये विश्वविद्यालय विश्व में अपना नाम बनाने में सफल हुई है। अनेक देशों के छात्र-छात्राएँ यहां शिक्षा के लिए आ रहे हैं, दीनदयाल उपाध्याय जी ऐसे महान द्रष्टा थे, जिन्होंने दुनिया की समस्याओं को 60 साल पहले देखा और पहचाना था और उन समस्याओं के समाधान का रास्ता भी बताया था, हमारे वेदों और उपनिषदों में कहा गया है कि कुदरत का कभी शोषण नहीं करना चाहिए, उसका दोहन करना चाहिए। इसी सिद्धांत के आधार पर दीन दयाल उपाध्याय जी ने एकात्मक मानववाद की थ्योरी दुनिया के सामने रखी, 12 साल की छोटी अवधि में 5,000 से ज्यादा छात्र-छात्राएं अनेक विषयों में यहां से शिक्षा लेकर निकले हैं। आप सब सौभाग्यशाली ह

कांग्रेस का बीजेपी पर बड़ा हमला - आज अर्थव्यवस्था त्रस्त है और भाजपा लीपापोती में व्यस्त है !

            LIVE: Congress Party briefing by Prof Gourav Vallabh and Jaiveer Shergill, Spokespersons, AICC 4 जून 2019 को कांग्रेस ने सरकार से गुजारिश की थी कि इतने बड़े बहुमत का इस्तेमाल वो अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए करे। लेकिन, भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं हुआ। आज सिमटता व्यापार, डूबती और लाचार अर्थव्यवस्था इस देश का सत्य है, कहानियों में जिक्र होता है कि जब कुम्भकर्ण सो जाता था, तो उसे जगाने के लिए नगाड़े बजाने पड़ते थे। फिर भी, वो नींद से नहीं उठता था। भाजपा सरकार की यही वास्तविकता है,  भाजपा अभी भी जश्न और चुनाव प्रचार के मोड में है, न कि काम करने के मोड में, आज अर्थव्यवस्था त्रस्त है और भाजपा लीपापोती में व्यस्त है। भाजपा द्वारा डूबती अर्थव्यवस्था को अनदेखा कर देना देशद्रोह है, हमारी तीन मांगे हैं:- 1. संविधान के अनुसार देश में आर्थिक आपातकाल घोषित करे। 2. डूबती अर्थव्यवस्था और बैंक धोखाधड़ी पर भाजपा सरकार श्वेत पत्र जारी करे। 3. भाजपा सरकार सुप्रीम कोर्ट और सीआईसी के आदेशानुसार भगोड़ों के नाम की घोषणा करे: रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बैंक धोखाधड़ी

मंडियाँ पड़ी हैं सूनी, बाज़ार पड़ा है सूना, मोदीजी ज़ुलेबाज़ी का कब बंद करेंगे धंधा ?

              Indian National Congress Press Briefing Over  Economic Situation in India मंडियाँ पड़ी हैं सूनी बाज़ार पड़ा है सूना मोदीजी, ज़ुलेबाज़ी का कब बंद करेंगे धंधा ? एक तरफ रूपया डूबा है अर्थ व्यवस्था लगा रही है गोता,  मोदीजी क्या इसी प्रकार से विकास होता ? The economy is in shambles and the govt is doing nothing but fiddling, looking left, right and centre, not even policy solutions, much less implementation, Let me list for you 10 failures of the economy: 1- Auto industry- there’s a decline of 31%. In cars alone there is a 23% drop, 12% for two wheelers, 14% for tractors. 2- Stock exchange- BSE fell by 5%, midcap and smallcap by 8%, Nifty fell by 10% 3- Rising fiscal deficit- Finance commission admitted that CAG recalculated that fiscal deficit for 2017-2018 and it stands at 5.8% while the govt reported it to be 3.46% 4- GDP figures- Govt claims to make our GDP double digit while actual figures for Jan-Mar 2019 was 5.8%, the lowest in Modi’s first tenure. World over

मुद्रा लोन से 7 करोड़ स्वरोज़गार पैदा हुआ, अमित शाह को ये डेटा कहां से मिला मोदी जी..

मुद्रा लोन से 7 करोड़ स्वरोज़गार पैदा हुआ, अमित शाह को ये डेटा कहां से मिला मोदी जी यह न तंज है और न व्यंग्य है। न ही स्लोगन बाज़ी के लिए बनाया गया सियासी व्यंजन है। रोज़गार के डेटा को लेकर काम करने वाले बहुत पहले से एक ठोस सिस्टम की मांग करते रहे हैं जहां रोज़गार से संबंधित डेटा का संग्रह होता रहा हो। लेकिन ऐसा नहीं है कि रोज़गार का कोई डेटा ही नहीं है। चार साल बीत जाने के बाद प्रधानमंत्री को ध्यान आया है कि देश में नौकरियों को लेकर डेटा नहीं है। फिर उन्हें अमित शाह से पूछना चाहिए कि जनाब आपको यह डेटा कहां से मिला था कि मुद्रा लोन के कारण 7 करोड़ 28 लाख लोग स्वरोज़गार से जुड़े हैं। 12 जुलाई 2017 को अमित शाह का यह बयान कई जगह छपा है। अब अगर बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह ने मन में कोई खिचड़ी पकाई हो तो बेहतर है उन्हें प्रधानमंत्री से माफी मांग लेनी चाहिए । साथ ही किसी को उन्हें याद दिलाना चाहिए कि सर बहुत सारा अपन के पास डेटा है, बस जो भी डेटा आप देते हैं न उसे लेकर सवाल उठ जाते हैं। इसके अला्वा कोई समस्या नहीं है क्योंकि सवाल उठने के बाद भी हम चुनाव तो जीत ही जाते हैं। प्रधानमंत्

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