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मैं बेचैन हूं, बेसब्र हूँ व्याकुल हूँ मोदी जी - आप कुलदीप सिंह सेंगर पर कार्यावाही क्यों नहीं करते ?

                           अभिसार शर्मा का यह वीडियो मुझे बेचैन बेसब्र ब्याकुल करता हे क्या प्रधानमंत्री जी को करेगा ? येह बेचैनी केबल अभिसार्शर्मा की नही हर उस हिन्दुस्तानी की हे जिससे आपने 2014 के चुनाव मे वादा किया था कि हमारे लिये नारी सुरक्षा सर्वोपरी हे लेकिन आपकी बेचैनी क्यु नही दिखायी दी अपके भाषण में मुजफ्फरपुर से लेकर देवरिया, कठुआ, पटना,गोरखपुर इन सभी जघाओ पर छोटी छोटी बचियो के साथ बलात्कार करते हे और इन केसो माए कुलदीप सिंह सेंगर भा जा पा का बिधायक कठुआ मे भा जा पा के नेता और विधायक आरोपियो के पक्ष मे रैली करते हे और मोव लीचिन्ग में आपके केन्द्रिय मन्त्री दोषियों को फूल मालऑ से स्वागत करते हे हापुढ़ माए कासिम का सरे आम किस तरह तड़पा तड़पा कर गाय की रक्षा के नाम पर हत्या कर दी और आरोपी को जमानत मिल जाती हे और एक पत्रकार ने जब उसका गुप्त केमरे पर उस आरोपी एक एक कर कैसे बताया की उसकी पुलिस और सरकार ने कैसे मदद की और आगे भी उस आरोपी ने ऐसी घटनाओ को अंजाम देने को कहा ,इन सब घटनाओ पर आपको बेचैनी क्यु नही हुई प्रधानमंत्री जी क्यु आपको मुस्लिम बेटियो को न्याय दिलाने पर बे

जाने माने टीवी न्यूज़ एंकर और पत्रकार अभिसार शर्मा ने नए विद्यार्थियों को पढ़ाया टी.वी. रिपोर्टिंग का पाठ !

Abhisar Sharma शुभारंभ सत्र के बाद पहले सत्र में “टेलीविजन रिपोर्टिंग एवं एंकरिंग की चुनैतियां” विषय पर जाने माने टीवी न्यूज़ एंकर और पत्रकार अभिसार शर्मा ने नए विद्यार्थियों को टी.वी. रिपोर्टिंग का पाठ पढ़ाया। अपनी रिपोर्टिंग की क्लिपिंग दिखाते हुए उन्होने टीवी रिपोर्टिंग के कई पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि फील्ड पर जाकर ही ईमानदार टीवी रिपोर्टिंग की जा सकती है। अभिसार ने विद्यार्थियों के सवालों के भी जवाब दिए। Abhisar Sharma कार्यक्रम के दूसरे सत्र में “बदलते दौर की पत्रकारिता” पर प्रकाश डालते हुए द वायर की वरिष्ठ संपादक सुश्री आरफा खानम शेरवानी ने मीडिया की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और इन खतरों से विद्यार्थियों को आगाह किया।            अरफा खानम शेरवानी                                    इसी सत्र में इंडिया टुडे के पूर्व संपादक श्री दिलीप मंडल ने पत्रकारिता में तेजी से हो रहे बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान दौर में मीडिया तकनीक बहुत तेजी से बदल रही है, इसके उपयोगकर्ता भी बदल रहे हैं। गूगल, फेसबुक, व्ह

एक बार फिर गोदी मीडिया ने फैलाया झूठ - सिग्नेचर ब्रिज को लेकर कर दिया यह दावा

दोस्तों, फेक न्यूज़ का एक और जीता जागता उदहारण में पेश करने जा रहा हूँ, जैसा की हम जानते हैं की आज का दौर गोदी मीडिया का दौर है, जिसमे झूठ को भर भर कर परोसा जा रहा है और जनता भी आसानी से इससे मान रही हैं, हाल ही में दिल्ली सरकार ने सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन के मौके पर जनता को साथ ही बीजेपी सांसद मनोज तिवारी को आमंत्रित किया था, जिससे उन्होंने अपने twitter account के माध्यम से स्वीकारा भी था.. मनोज तिवारी द्वारा किया गया यह tweet पढने के लिए इससे क्लिक करें अब बात आती है गोदी मीडिया की तो चलिए पढ़ते हैं, सिग्नेचर ब्रिज के घमासान के बाद Zee न्यूज़ ने क्या लिखा अपनी ऑफिसियल वेबसाइट पर  Zee News द्वारा की गयी इस पोस्ट को पढने के लिए यहाँ क्लिक करें तो देखा आपने एक तरफ मनोज तिवारी को सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन में जाने का बुलावा आया था लेकिन गोदी मीडिया अपनी वेबसाइट पर लिख रही है की मनोज तिवारी को उद्घाटन में जाने का आमंत्रण नहीं मिला था ! इससे बड़ा झूठ और क्या होसकता है |  उम्मीद हैं आप समझ ही गए होंगे, कृपया इस पोस्ट को आगे शेयर करें और जनता को जागरूक करने मे

मोदी सरकार आम जनता को मूर्ख बनाना बंद करे - अभिसार शर्मा

नमस्कार दोस्तों, जैसा कि मेरे विडियो ब्लॉग से स्पष्ट हैं की मोदी सरकार आम जनता को मूर्ख बनाना बंद करे, stop lying to the people of India, Mr. Narendra Modi झूठ बोलना बंद करें ये सरकार  - लोगों को ऐसा लग रहा है कि आपकी सरकार राफेल मुद्दे पर गलत बयानी कर रही है और इसकी गलत बयानी के इस propogenda में, उसके इस झूठ के इस propogenda में दोस्तों. मुझे बताते हुए बड़ी शर्मिंदगी हो रही है कि मीडिया का एक बहुत बड़ा घड़ा भी शामिल हो गया है, और में आपसे ऐसा क्यों कह रहा हूँ, इस बात पे गौर कीजियेगा, क्योंकि कल ये खबर जो  सार्वजनिक हुई हैं की फ्रांस के न्यूज़ पोर्टल मीडिया पार्ट ने Dassault  एविएशन उसका एक आन्तरिक दस्तावेज उसके हाथ में आया है, और इससे स्पष्ट हो गया है की - भारत सरकार ने कहा था dassault  से की अगर आप Reliance के अनिल अम्बानी के साथ समझोता नहीं करेंगे तो आपको 36 राफेल विमान का समझोता नहीं मिलेगा | में आपको बता दूँ की फ्रेंच मीडिया को बतौर एक दस्तावेज मिला है, और अब तक भारत सरकार क्या कहती आयी है की रिलायंस को को dassault ने चुना है,जबकि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने पहले ही दावा क

बोलिए मोदी जी, देश को बोलने वाला नेता चाहिए था..बोलिए न... - रवीश कुमार

भाषणों के मास्टर कहे जाते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। 2013 के साल में जब वे डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपये के गिरने पर दहाड़ रहे थे तब लोग कहते थे कि वाह मोदी जी वाह। ये हुआ भाषण। ये भाषण नहीं देश का राशन है। हमें बोलने वाला नेता चाहिए। पेट को भोजन नहीं भाषण चाहिए। यह बात भी उन तक पहुंची ही होगी कि पब्लिक में बोलने वाले नेता का डिमांड है। बस उन्होंने भी बोलने में कोई कमी नहीं छोड़ी। पेट्रोल महंगा होता था, मोदी जी बोलते थे। रुपया गिरता था, मोदी जी बोलते थे। ट्विट पर रि-ट्विट। डिबेट पर डिबेट। 2018 में हम इस मोड़ पर पहुंचे हैं जहां 2013 का साल राष्ट्रीय फ्राड का साल नज़र आता है। जहां सब एक दूसरे से फ्राड कर रहे थे। 2014 आया। अख़बारों में मोदी जी की प्रशस्ति लिखना काम हो गया। जो प्रशस्ति नहीं लिखा, उसका लिखने का काम बंद हो गया। दो दो एंकरों की नौकरी ले ली गई। कुछ संपादक किनारे कर दिए गए। मीडिया को ख़त्म कर दिया गया। गोदी मीडिया के दौर में मैदान साफ है मगर प्रधानमंत्री पेट्रोल से लेकर रुपये पर बोल नहीं रहे हैं। नोटबंदी पर बोल नहीं रहे हैं। अभी तो मौका है। पहले से भी ज़्यादा कुछ भी

Punya Prasun Bajpai का ऑनलाइन Master Stroke - 71 बरस बाद भी क्यों लगते हैं, "हमें चाहिए आजादी" के नारे

71 बरस बाद भी क्यों लगते हैं, "हमें चाहिए आजादी" के नारे ------------------------------------------------------------------- आजादी के 71 बरस पूरे होंगे और इस दौर में भी कोई ये कहे , हमें चाहिये आजादी । या फिर कोई पूछे, कितनी है आजादी। या फिर कानून का राज है कि नहीं। या फिर भीडतंत्र ही न्यायिक तंत्र हो जाए। और संविधान की शपथ लेकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदो में बैठी सत्ता कहे भीडतंत्र की जिम्मेदारी हमारी कहा वह तो अलग अलग राज्यों में संविधान की शपथ लेकर चल रही सरकारों की है। यानी संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी भीड़ का ही हिस्सा लगे। संवैधानिक संस्थायें बेमानी लगने लगे और राजनीतिक सत्ता की सबकुछ हो जाये । तो कोई भी परिभाषा या सभी परिभाषा मिलकर जिस आजादी का जिक्र आजादी के 71 बरस में हो रहा है क्या वह डराने वाली है या एक ऐसी उन्मुक्त्ता है जिसे लोकतंत्र का नाम दिया जा सकता है। और लोकतंत्र चुनावी सियासत की मुठ्ठी में कुछ इस तरह कैद हो चुका है, जिस आवाम को 71 बरस पहले आजादी मिली वही अवाम अब अपने एक वोट के आसरे दुनिया के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश में खुद को आजाद मानने का जश्न

एक सच्चे पत्रकार से टकराने की हिम्मत नहीं हैं इस सरकार में - रवीश कुमार !

प्रसून को इस्तीफ़ा देना पड़ा है। अभिसार को छुट्टी पर भेजा गया है। आप को एक दर्शक और जनता के रूप में तय करना है। क्या हम ऐसे बुज़दिल इंडिया में रहेंगे जहाँ गिनती के सवाल करने वाले पत्रकार भी बर्दाश्त नहीं किए जा सकते? फिर ये क्या महान लोकतंत्र है? धीरे धीरे आपको सहन करने का अभ्यास कराया जा रहा है। आपमें से जब कभी किसी को जनता बनकर आवाज़ उठानी होगी, तब आप किसकी तरफ़ देखेंगे। क्या इसी गोदी मीडिया के लिए आप अपनी मेहनत की कमाई का इतना बड़ा हिस्सा हर महीने और हर दिन ख़र्च करना चाहते हैं? आप कहाँ खड़े हैं ये आपको तय करना है। मीडिया के बड़े हिस्से ने आपको कबका छोड़ दिया है। गोदी मीडिया आपके जनता बने रहने के वजूद पर लगातार प्रहार कर रहा है। बता रहा है कि सत्ता के सामने कोई कुछ नहीं है। आप समझ रहे हैं ऐसा आपको भ्रम है। आप समझ नहीं रहे हैं। आप देख भी नहीं रहे हैं। व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी का मुल्क, साहस भी कोई चीज़ होती है सिनेमा हमेशा सिनेमा के टूल से नहीं बनता है। उसका टूल यानी फ़ार्मेट यानी औज़ार समय से भी तय होता है। व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए बनी इस फ़िल्म को आक्सफो

एबीपी न्यूज़ में पिछले 24 घंटों में जो कुछ हो गया, वह भयानक है. और उससे भी भयानक है वह चुप्पी जो..

एबीपी न्यूज़ में पिछले 24 घंटों में जो कुछ हो गया, वह भयानक है. और उससे भी भयानक है वह चुप्पी जो फ़ेसबुक और ट्विटर पर छायी हुई है. भयानक है वह चुप्पी जो मीडिया संगठनों में छायी हुई है. मीडिया की नाक में नकेल डाले जाने का जो सिलसिला पिछले कुछ सालों से नियोजित रूप से चलता आ रहा है, यह उसका एक मदान्ध उद्-घोष है. मीडिया का एक बड़ा वर्ग तो दिल्ली में सत्ता-परिवर्तन होते ही अपने उस ‘हिडेन एजेंडा’ पर उतर आया था, जिसे वह बरसों से भीतर दबाये रखे थे. यह ठीक वैसे ही हुआ, जैसे कि 2014 के  सत्तारोहण के तुरन्त बाद गोडसे, ‘घर-वापसी’, ‘लव जिहाद’, ‘गो-रक्षा’ और ऐसे ही तमाम उद्देश्यों वाले गिरोह अपने-अपने दड़बों से खुल कर निकल आये थे और जिन्होंने देश में ऐसा ज़हरीला प्रदूषण फैला दिया है, जो दुनिया के किसी भी प्रदूषण से, चेरनोबिल जैसे प्रदूषण से भी भयानक है. घृणा और फ़ेक न्यूज़ की जो पत्रकारिता मीडिया के इस वर्ग ने की, वैसा कुछ मैंने अपने पत्रकार जीवन के 46 सालों में कभी नहीं देखा. 1990-92 के बीच भी नहीं, जब रामजन्मभूमि आन्दोलन अपने चरम पर था. मीडिया का दूसरा बहुत बड़ा वर्ग सुभीते से गोदी म

Ravish Kumar on Punya Prasoon Resignation From ABP News

प्रसून को इस्तीफ़ा देना पड़ा है। अभिसार को छुट्टी पर भेजा गया है। आप को एक दर्शक और जनता के रूप में तय करना है। क्या हम ऐसे बुज़दिल इंडिया में रहेंगे जहाँ गिनती के सवाल करने वाले पत्रकार भी बर्दाश्त नहीं किए जा सकते? फिर ये क्या महान लोकतंत्र है? धीरे धीरे आपको सहन करने का अभ्यास कराया जा रहा है। आपमें से जब कभी किसी को जनता बनकर आवाज़ उठानी होगी, तब आप किसकी तरफ़ देखेंगे। क्या इसी गोदी मीडिया के लिए आप अपनी मेहनत की कमाई का इतना बड़ा हिस्सा हर महीने और हर दिन ख़र्च करना चाहते हैं? आप कहाँ खड़े हैं ये आपको तय करना है। मीडिया के बड़े हिस्से ने आपको कबका छोड़ दिया है। गोदी मीडिया आपके जनता बने रहने के वजूद पर लगातार प्रहार कर रहा है। बता रहा है कि सत्ता के सामने कोई कुछ नहीं है। आप समझ रहे हैं ऐसा आपको भ्रम है। आप समझ नहीं रहे हैं। आप देख भी नहीं रहे हैं। Ravish Kumar on Punya Prasoon Resignation From ABP News

योगी जी क्या ये आपका रामराज्य है? - अभिसार शर्मा | पढ़िए पूरी खबर

हम इस मुद्दे को नहीं भूले हैं , हम बात कर रहे है उन्नाव रपे केस की  , अभी – अभी आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर के भाई की गिरफ़्तारी हुयी है , याद कीजिये गायत्री प्रजापति का मामला  पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया उसे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा तब जाकर गिरफ़्तारी हुयी यह मामला तो और भी बदतर है , २० जून २०१७ को पीडिता के साथ रपे होता है , अप्रैल   को आर्म्स एक्ट के तहत पीडिता के पिता की गिरफ़्तारी होती है , ये वही दिन है जिस दिन इसकी पिटाई भी होती है ,  उसी दिन ये शख्स जेल भी जाता है , उन्नाव जेल superintendent  का कहना है की ४ समर्थकों की शिकायत के बाद उस लड़की के पिता को अस्पताल के बाद जेल ले जाया जाता है , पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था और १२ फ़रवरी के बाद हाई कोर्ट जाने के बाद लड़की का केस पुलिस शिकायत में आया , अगर २० जून २०१७ के बाद यह करवाई होती तो शायद उस लड़की के पिता आज जिन्दा होते , सवाल ये है जब बलात्कार जैसा मामला है तो योगी को तलब नहीं करना चाहिए था !! कृपया अपनी राय दीजिये दोस्तों !!!

अभिसार शर्मा की कलम से मेरठ की यह दिल दहला देने वाली रिपोर्ट जरुर पढ़ें !!

मेरठ मे एक दलित की पहचान करके उसे गोली मार दी गयी. बाकायदा एक लिस्ट बनायी गयी है. कुछ दलित युवक फरार बताए जा रहे हैं. उदित राज, मोदी सरकार मे सांसद कह रहे हैं के उनसे जुड़ी संस्थाओं के दलित कार्यकर्ताओं को ग्वालियर मे टार्गेट किया जा रहा है. मोदी सरकार के चार दलित सांसद मोदीजी को खत लिख कर कह चुके हैं के चार सालों मे दलितों के लिए कुछ नहीं किया गया है. इस बार के दलित आंदोलन के बाद पूरे भारत मे सिलसिलेवार तरीके से दलितों को निशाना बनाया जा रहा है. जैसा के मैने बताया, मेरठ में  बाकायदा एक लिस्ट बनायी गयी और उस लिस्ट मे शामिल एक दलित की छाती पर कई गोलियां दाग दी गयीं. ये अप्रत्याशित है. दलितों के साथ इस देश मे अत्याचार होता रहा है, मगर बीजेपी राज्यों मे इस कदर निशाना लगाना पहले कभी नहीं हुआ. क्या अब उन्हे प्रदर्शन करने का अधिकार भी नहीं है? सोशल मीडिया ही नहीं आम बोलचाल मे भी कुछ लोग दलितों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने मूह से वाहियात शब्दों का प्रयोग करने वाले सभी लोगों मे एक ही चीज़ समान हैं. सब के सब.. मोदी भक्त. अंध भक्त. इनकी घृणा और हिकारत मुझे ना सिर्फ नि

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