PM Narendra Modi Live |
PM Modi addresses Vesak Global Celebrations via video conferencing.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुद्ध पूर्णिमा पर राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं LIVE देखिये || 7 May 2020
आप सभी को और विश्वभर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की और बैसाख उत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे पहले ही इस पवित्र दिन पर आपसे मिलने, आपसभी से आशीर्वाद लेने का अवसर मिलता रहा है, 2015 और 2018 में दिल्ली में और साल 2017 में कोलंबों में मुझे इस कार्यक्रम से जुड़ने का, आपके बीच आने का मौका मिला।
इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं, इसलिए आमने-सामने आकर आपसे मुलाकात नहीं हो पा रही है
भगवान बुद्ध का वचन है-
मनो पुब्बम् गम: थम्म:
मनो सेट्टा, मनो मया
यानी धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है। सारी प्रवृत्तियों का अगवा है, लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण बहुत ही सुंदर है।
हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है:आपने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रुप में मनाने का संकल्प लिया है।
करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं, प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है।
भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है।
वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया, बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं।
सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है,समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है।
ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि, बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं हैं, बल्कि एक पवित्र विचार भी हैं, बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है।
बुद्ध, सेवा और समर्पण का पर्याय है।
बुद्ध, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है, ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है।
कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है।
तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती.भगवान बुद्ध कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे उनसे बाहर निकले।
थक कर रुक जाना कोई विकल्प नहीं होता।
आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं, साथ मिलकर काम कर रहे हैं, भगवान बुद्ध के बताए चार सत्य
1- दया
2- करुणा
3- सुख-दुख के प्रति समभाव
4- जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना
ये सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं,
बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध, दोनों का प्रतीक हैं।
इसी आत्मबोध के साथ, भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए, पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा।
भारत की प्रगति, हमेशा, विश्व की प्रगति में सहायक होगी
It's a pleasure to be amongst you, but the situation doesn't permit us. Even during this critical situation of a lockdown, the International Buddhist Confederation deserves praise for organising this virtual celebration of Buddha Purnima. Following Buddha's principles have only been possible because Buddha is not only a name, but a sacred thought. A thought that resides in every human, guides humanity.
Buddha is the ultimate sacrifice and devotion. Buddha is a synonym of service and dedication.
During these times of upheaval and distress in the world, the teachings of Buddha become even more relevant. He had said that mankind must continuously strive to overcome difficult situations, to wriggle out of them. To stop at getting tired cannot be a solution.While making every possible effort to save every countryman, India is also fulfilling its global responsibilities.
Every word and preaching of Buddha reinforces India's commitment to serve humanity
मनो पुब्बम् गम: थम्म:
मनो सेट्टा, मनो मया
यानी धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है। सारी प्रवृत्तियों का अगवा है, लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के श्री अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण बहुत ही सुंदर है।
हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है:आपने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के हेल्थ वर्कर्स और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रुप में मनाने का संकल्प लिया है।
करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं, प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है।
भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है।
वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया, बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं।
सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है,समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है।
ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि, बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं हैं, बल्कि एक पवित्र विचार भी हैं, बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है।
बुद्ध, सेवा और समर्पण का पर्याय है।
बुद्ध, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है, ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है।
कई बार दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है।
तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती.भगवान बुद्ध कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे उनसे बाहर निकले।
थक कर रुक जाना कोई विकल्प नहीं होता।
आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं, साथ मिलकर काम कर रहे हैं, भगवान बुद्ध के बताए चार सत्य
1- दया
2- करुणा
3- सुख-दुख के प्रति समभाव
4- जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना
ये सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं,
बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध, दोनों का प्रतीक हैं।
इसी आत्मबोध के साथ, भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए, पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा।
भारत की प्रगति, हमेशा, विश्व की प्रगति में सहायक होगी
It's a pleasure to be amongst you, but the situation doesn't permit us. Even during this critical situation of a lockdown, the International Buddhist Confederation deserves praise for organising this virtual celebration of Buddha Purnima. Following Buddha's principles have only been possible because Buddha is not only a name, but a sacred thought. A thought that resides in every human, guides humanity.
Buddha is the ultimate sacrifice and devotion. Buddha is a synonym of service and dedication.
During these times of upheaval and distress in the world, the teachings of Buddha become even more relevant. He had said that mankind must continuously strive to overcome difficult situations, to wriggle out of them. To stop at getting tired cannot be a solution.While making every possible effort to save every countryman, India is also fulfilling its global responsibilities.
Every word and preaching of Buddha reinforces India's commitment to serve humanity
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