कांग्रेस नेत्री नूरी खान का डॉक्टर कल्पना परुलेकर को समर्पित लेख..बात सन्न 2000 से 2001 के बीच की है तब..
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Indian National Congress Leader Kalpana Parulekar And Noori Khan |
#डॉक्टर_कल्पना_परुलेकर_जी_को_समर्पित_लेख...(ज़रूर पढ़े)
बात सन्न 2000 से 2001 के बीच की है तब शायद फ़ोटो का इतना चलन नही था कि मैं तस्वीरे सहेज पाती उस वक़्त 12 वी पास कर के ही NSUI ग्रामीण की जिलाध्यक्ष बन गई थी
बचपन से नागदा के विभिन्न श्रमिक संगठनों की मीटिंग अटेंड किया करती थी तब रामचंद्र जी ने' c' ब्लॉक में एक मजदूरों की बड़ी बैठक रखी तब अब्बा ने मुझे एक भाषण लिख कर दिया..और वो बोलकर मैंने...
खूब तालियां बटोरी और छात्र राजनीति के साथ ही 17/18 साल की उम्र में मजदूर यूनियन के साथ भी काम करने लगी थी एक दिन अचानक से पत्रकार रघुवंशी जी का फोन आया कि भारत कॉमर्स इंडस्ट्री के आंदोलन में गेट मीटिंग है और कल्पना जी को और आपको संबोधित करना है बस मैंने अपनी चमचमाती हुई रेड सायकिल जो अब्बा ने 6 वी क्लास में दिलाई थी दौड़ाती हुई मिल गेट पर पहोच गई जैसे ही पहुँची कल्पना जी ने मंच पर बुला लिया कि आ जाओ भई नूरी और अब आंदोलन छोड़कर नही भागना है सबसे बड़ी बात ये थी कि उस वक़्त केंद्र सरकार में श्रम मंत्री जटिया जी थे लेकिन प्रदेश में दिग्गी सरकार थी यानी कि हम मजदूरों के हक़ की लड़ाई अपनी ही सरकार में लड़नी थी उस वक़्त नागदा में Csp हिंगनकर थे और उज्जैन SP मिस्टर थाउसेन थे
उस वक़्त मैं काफी दुबली पतली मुश्किल से मेरा वज़न 38 से 40 kg था लेकिन हौसला बहोत बुलंद गेट मीटिंग में मैं गरजी ज़ोरदार तरीके से उस वक़्त आवाज़ में दम और जुनून था उसके बाद जैसे ही कल्पना परुलेकर जी दहाड़ी मेरे रोंगटे खड़े हो गए कि यार ये है आज से अपनी नेता बस मैडम का आदेश हुआ रात 12 बजे की मिल का ताला लगा गेट तोड़ दिया जाए हम सबने वो गेट तोड़ दिया भीतर प्रवेश किया पुलिस ने 2 दिन का समय माँग मैडम महिदपुर चली गई मुझे रात के 2 बजे रघुवंशी जी ने अपनी मोटरसाइकिल से घर छोड़ दिया और सुबह के 4 बजे CSP ने मुझे गिरफ्तार कर सीधे उज्जैन भेज दिया आंदोलन को दबाने के लिए और 7 दिन मुझे नज़र बन्द रखा गया महिला थाने में महिला थाने की टेबल ही मेरा बिस्तर थी और कई पुलिस महिला साथी जो अब थोड़ी सी बुज़ुर्ग दिखने लगी है सभी घर से मेरे लिए टिफ़िन लाते थे
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Noori Khan With Kalpana Parulekar |
उस वक़्त माधव कॉलेज से बी ए प्रथम वर्ष की परीक्षा भी पुलिस की मेहमान बना कर दिलवाई गई सरकार के सख्त निर्देश थे कि ये नागदा गई तो आंदोलन को फिर से गति मिल जायेगी
उसके बाद हम आगे और 10000 श्रमिक पीछे हमारी आवाज़ के उस ज़माने में मैं कल्पना जी की जूनियर बन चुकी थी फिर मैडम ने एक रोज़ श्रमिक और किसानों की रैली एक साथ रख ली हम निज़ामुद्दीन ट्रैन से उज्जैन पहुँचे और जैसे ही रैली गुदरी पहुँची पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी मुझे याद है उस वक्त मुझे बचाने में sp और csp भी घायल हो गए थे आंदोलनकारी और पुलिस के बीच पथराव हुआ मेरे कई साथियो को प्लास्टिक वाली गोलियों ने घायल किया और मुझे गिरफ्तार करके देवास जैल भेजा गया साथ मे 40 महिला 100 पुरुष अगले दिन धारा 151 में गिरफ्तार मेरी एक एक महिला साथियों को नाम लेकर बाहर निकाल दिया मैं उत्सुकता के साथ अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी तभी गेट पुनः बन्द कर दिया गया पूछने पर पता चला कि मुझ पर बड़ी धाराओ में प्रकरण दर्ज किया गया है यकायक मेरी आँखों से आंसू गिर गए क्योकि घर वालो को तो ये भी पता नही होगा कि मैं कहा हूं उस वक़्त मोबाइल भी नही थे न मोबाइल की आदत जेलर के घर से बेडशीट तकिया और टेबल फैन मुझे प्राप्त हुआ एक महिला साथ मिर्ची की बनी हुई चटनी मुझे देकर गई थी जिसने जैल की फीकी सी सब्ज़ी का एहसास नही होने दिया 5 दिन बाद घर से अब्बा का फोन आया मैं तो जो भाषणों में दहाड़ा करती थी रो पड़ी की अब डांट पड़ेगी एक जवान लड़की जिसकी शादी भी नही हुई जैल में है लोग क्या कहेंगे पर उधर से आवाज़ आई बेटा तू हक की लड़ाई में गई है तूने सर इज़्ज़त से ऊँचा कर दिया पूरा नागदा तेरे लिए दुआ कर रहा है फिक्र मत करना मैं तेरे साथ हु उसके बाद पापा कल्पना जी के पास गए कि नूरी को छुड़वा दो वो भेरूगढ़ से रिहा होकर देवास गेट अरुण वर्मा उज्जैन के साथ भूख हड़ताल पर बैठ गई कि सारी धाराएं हटाकर ही बाकी के साथियों को रिहा किया जाए और मैं उनकी इस ज़िद में 10 दिन जैल में ही रह गई आखिरकर अब्बा ने कमल को भेजा और मुझे रिहा करवाया गया
ज़ोरदार डांट पड़ी की तुम्हे मैं अपनी शर्तों पर छुड़वाती
कई दिनों कल्पना दी के साथ काम किया आंदोलन कैसे होते वो समझा एक बार घर से बिना बोले भागकर भी मैं उनके पास गई थी कि मुझे आपके जैसी नेता बनना है खैर उनके जैसे बन पाना तो संभव नही था और बाद में जब उन्होंने कॉंग्रेस को छोड़ा तो मेरी विचारधारा उनसे मैच नही हो पाई आखरी वक़्त में फिर से कुछ पल उनके साथ बिता पाई वो एक जीता जागता आंदोलन थी जो कभी खत्म नही हो सकती एक विचार जो कभी मर नही सकता मैं आपको अपनी और से श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ।।। Noori Khan
कांग्रेस नेत्री नूरी खान की कलम से !
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Noori Khan With Kalpana Parulekar |
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