समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से आज शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट कर उन्हें ज्ञापन सौंपा और अपना दुःख दर्द बयान किया। शिक्षामित्रों ने बताया कि इन दिनों वे आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं। बेटियों का विवाह नहीं हो पा रहा है। बैंकों से जो कर्ज लिया था उसकी वसूली होने लगी है। राज्य सरकार को उनकी बदहाली की कोई चिंता नहीं है। प्रतिनिधिमण्डल के सदस्यों ने कहा कि समाजवादी सरकार ने उनके साथ न्याय किया था जबकि भाजपा सरकार ने तो उनके साथ अन्याय और अत्याचार किया है।
प्रतिनिधिमण्डल में श्रीमती उमा देवी (कानपुर) रेखा चौधरी(मथुरा) श्रीमती रमाकांती त्रिपाठी (महाराजगंज) तथा सर्वश्री राजीव कुमार (रामपुर) रीतेश द्विवेदी (कासगंज) सुशील यादव (लखनऊ) श्याम जी दुबे, संतोष दुबे, महेष उपाध्याय सभ शिक्षामित्र शामिल थे। इस अवसर पर सर्वश्री अहमद हसन, राजेन्द्र चौधरी, नरेश उत्तम पटेल, अरविन्द सिंह गोप, एसआरएस यादव तथा अरविन्द कुमार सिंह भी मौजूद थे।
शिक्षामित्रों ने यह भी बताया कि अब तक 537 शिक्षामित्रों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों की संख्या में आत्महत्या कर ली है। कुछ सदमा बर्दास्त नहीं कर सके और मौत हो गयी। पीड़ित परिवारों में बहुत आक्रोश है। उन्होंने मांग की कि 1,24,000 स्नातक प्रशिक्षित शिक्षामित्रों को पैराटीचर मानते हुए 38,878 रूपए 12 माह का वेतन दिया जाए। सेवाकाल 62 वर्ष हो। मृतक शिक्षामित्रों के परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाए। शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर रहते हुए टेट पास करने के लिए 4 वर्ष का समय दिया जाए। जिनका समायोजन नहीं हुआ है उनको समान कार्य का समान वेतन दिया जाए।
श्री अखिलेश यादव जी ने शिक्षामित्रों की मांगों से सहानुभूति जताते हुए मृतक शिक्षामित्रों के परिवारीजनों को, आर्थिक बदहाली से उबारने के लिए 50-50 लाख रूपए की सहायता दिए जाने की राज्य सरकार से मांग की। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार में षिक्षामित्रों को समायोजन का जो लाभ मिला था उसे बरकरार रखा जाना चाहिए।
पूर्व मुख्यमंत्री जी ने किसानों और नौजवानों के प्रति भाजपा सरकार की दुर्भावनापूर्ण नीति की आलोचना करते हुए कहा कि कर्जमाफी के नाम पर किसानों को छला गया है। 86 लाख किसानों के 36 हजार करोड़ रूपए कर्जमाफी के दावे के उलट महज 21 हजार करोड़ रूपए के कर्ज माफ किए गए। 32 लाख से अधिक किसान अब भी कर्जमाफी से वंचित हैं। जिनकी कर्जमाफी घोषित हुई उनसे भी अब जबरन वसूली हो रही है। मेरठ, आगरा, मथुरा, लखनऊ हरदोई आदि कई जनपदों से प्राप्त विवरण के अनुसार हजारों किसानों की शिकायत है कि पहले तो उन्हें कर्जमाफी का प्रमाण पत्र दिया गया और अब पुनः रिकवरी की नोटिस दी जा रही है।
हरदोई में शिवरतन और उनकी पत्नी का बैंक में खाता था उनका पैसा तो गया ही वसूली की नोटिस अलग से मिल गई लखनऊ के मलिहाबाद के ससपन गांव के कई किसानों के खाते में पैसे आए फिर भी वसूली की नोटिस मिल गई। मेरठ की सरधना तहसील के जमालपुर गांव में मदनपाल किसान, मथुरा के गांव हुसैनी निवासी हेमराज सिंह आदि तमाम किसान ऋणमाफी के प्रमाण पत्रों के साथ रिकवरी की नोटिस भी लिए घूम रहे हैं। उनकी कोई सुनता तक नहीं है। भाजपा शासन की किसान विरोधी नीति के कारण सैकड़ों तो उत्तर प्रदेश में ही आत्महत्या कर चुके हैं अन्य हजारों किसान आत्महत्या के कगार पर हैं। इसी तरह सन् 2014 से सन् 2016 के बीच 26 हजार 5 सौ बेरोजगार नौजवान अपनी जान दे चुके हैं। भाजपा इनह त्याओं की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है।
श्री यादव ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार के पास गिनाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है। समाजवादी सरकार ने ही 70 हजार से ज्यादा पुलिस भर्ती की थी। नौकरी-रोजगार है नहीं, भाजपा सरकार एक तो किसी को रोजगार उपलब्ध नहीं करा पायी वहीं बेरोजगारों का उत्पीड़न भी कर रही है।
श्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा-बसपा गठबंधन और फूलपुर-गोरखपुर की हार से भाजपा में बौखलाहट है। वह समाजवादियों से डरे हुए हैं इसलिए वह मुद्दे बदलना चाहते है। समाजवादी देश बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भाजपा मर्यादा की सीमा में रहे और समाजवादियों को मजबूर न करे। उन्होंने कार्यकर्Ÿााओं से कहा कि हमें भाजपा की हर चालाकी से सावधान रहना है।
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