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कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक के गुर्गों द्वारा तहसीलदार की पिटाई पर आया अखिलेश यादव का ये बयान ! |
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार में शुरू से ही भाजपा के सांसद विधायक और उनके नेता कानून की धज्जियां उड़ाना अपना अधिकार समझते रहे है। सहारनपुर, कानपुर के बाद सांसद कन्नौज सुब्रत पाठक ने तो सत्ता के अहंकार में घर पर खाने के पैकेट तुरन्त न भिजवाने पर अपने दो दर्जन गुर्गो के साथ तहसीलदार पर हमला बोल दिया। उन्हें मारा-पीटा और बुरी तरह घायल कर दिया। वहां पूरा प्रशासन दहशत में है। इन दबंग सांसद का कन्नौज में आतंक व्याप्त है। पीड़ित अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद भी सांसद के विरूद्ध विधिक कार्यवाही नही हुई है। अपने दिए गए बयान पर अमल करते हुए मुख्यमंत्री जी को आरोपी सांसद पर रासुका लगा देना चाहिए।
सांसद श्री सुब्रत पाठक द्वारा कन्नौज सदर तहसीलदार को उनके घर में घुसकर बेरहमी से पीट-पीटकर घायल कर दिया गया। उस समय उनकी पत्नी एवं उनकी 8 वर्षीय बेटी भी मौजूद थी। ए.डी.एम. और सदर एस.डी.एम. के सामने तहसीलदार का कन्नौज जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराया गया है।
माननीय प्रधानमंत्री जी के लगातार कहने के बाद भी लाॅकडाउन में सांसद कन्नौज श्री सुब्रत पाठक घर से बाहर निकल कर तहसीलदार को सबक सिखाने के लिए उनके आवास पर जाकर तहसीलदार के साथ उक्त अवैध एवं अपराधिक कृत्य किया है। सांसद कन्नौज ने न सिर्फ लाॅकडाउन को धता बताया बल्कि सरकारी अधिकारी पर हमला बोलकर कानून का राज तार-तार कर दिया गया। भाजपा ऐसा ही रामराज्य लाना चाहती है। जिस दिन प्रधानमंत्री जी ने दिया जलाने को कहा भाजपा की एक महिला नेता ने तड़ा तड़ गोलियां बरसा दी। सारा देश कोरोना के प्रकोप से झूझ रहा है भाजपा नेताओं द्वारा नंगा नाच कर ताण्डव मचाया जाना घोर निंदनीय है। भाजपा के जनप्रतिनिधियों द्वारा लोकतंत्र को गहरा आघात पहुंचाया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी की मांग है कि कन्नौज सांसद श्री सुब्रत पाठक के विरूद्ध तत्काल रासुका के तहत विधिक कार्यवाही कर गिरफ्तार कर जेल भेजा जाये अन्यथा राज्य में अराजकता को और ताकत मिलेगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी द्वारा गठित ‘टीम इलेवन‘ बैठक पर बैठक कर रही है पर इसकी सार्थकता नज़र नहीं आ रही
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी द्वारा गठित ‘टीम इलेवन‘ बैठक पर बैठक कर रही है पर इसकी सार्थकता नज़र नहीं आ रही है। समीक्षा करने वाले सदिच्छा से इसकी भी समीक्षा-परीक्षा करें कि जिनकी धर पकड़ की जा रही है उन्हें कब, क्यों व किसने वीजा दिया? कोरोना के कितने टेस्ट किए जा रहे हैं? बीमारियों के इलाज और भूखे भटके लोगों के लिए क्या व्यवस्थाएं की जा रही हैं? यह भी मालूम नहीं।
समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में कैंसर, लीवर, किडनी तथा दिल की गम्भीर बीमारियों के मुफ्त इलाज की व्यवस्थाएं थी। लखनऊ में एक कैंसर अस्पताल की भी शुरूआत की गई थी। भाजपा सरकार यदि वास्तव में जनता के प्रति ईमानदार है तो उसे उक्त गम्भीर बीमारियों का मुफ्त इलाज शुरू करना चाहिए।
कितना दुःखद है कि कानपुर के एक डाक्टर को एम्बूलेंस की अनुपलब्धता और हैलेट अस्पताल में स्ट्रेचर तथा अन्य चिकित्सकीय सहायता के अभाव में अपना बेटा खोना पड़ गया। सरकार व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण देकर ये सुनिश्चित करे कि कोरोना की आशंका के डर से मेडिकल स्टाफ किसी भी मरीज की उपेक्षा न करें।
मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में टीम इलेवन की समीक्षा बैठक में शामिल जिम्मेदार लोगों को राहत कोश की पारदर्शिता की भी समीक्षा करनी चाहिए। प्रशासन को सभी क्वारंटाइन सेंटरों की हालत दुरूस्त करने पर भी ध्यान देना चाहिए। आजमगढ़ में क्वारंटाइन सेंटर पर सैनिटाइजर, मास्क, साफ सफाई की कमी से न सिर्फ कोरोना पीड़ित मरीजों का खतरा दो गुना कर दिया है बल्कि वहां तैनात जीवन रक्षकों की जिंदगी भी खतरे में डाल दी है।
उत्तर प्रदेश की उद्योग महानगरी कानपुर की जनता का लाॅकडाउन में सरकारी बदइंतजामी की वजह से बुरा हाल है। सप्लाई चेन टूटने से दूध-ब्रेड को लेकर हाहाकार मचा है। मेडिकल स्टोर से दवाई घर न पहुंचने से बुजुर्गों, बच्चों की जान आफत में है। प्रशासन द्वारा कानपुर में जिन सैकड़ों श्रमिकों को क्वारंटाइन कर एक स्थान पर रखा गया है वहां खाने तक इंतजाम नहीं है, फलस्वरूप दर्जनों श्रमिक सड़कों-चैराहों पर बाहर निकल आये और कहा कि कई दिन से भूखे हैं। सरकार की यह संवेदन शून्यता है।
सरकार कोराना से बचाव की दिशा में जो कदम उठा रही है उस पर आपत्ति नहीं लेकिन जहां कहीं किसी क्षेत्र को सील किया गया है वहां मानवीय दृष्टि से व्यवहार होना चाहिए। सख्ती का मतलब उत्पीड़न नहीं होना चाहिए।
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