समाजवादी पार्टी ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र को इस भाजपा सरकार ने अपनी मनमानी के चलते पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है। प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकों ने मनमानी फीस बढ़ोŸारी के साथ किताबें, काॅपी, जूते-मोजे और डेªस तक बेचना शुरू कर दिया है। अभिभावक लुट रहे हैं। जब स्कूल प्रबन्धकों ने लूट खसोट शुरू कर दी तब राज्य सरकार को होश आया तो एक औपचारिक फरमान अध्यादेश लाने का जारी कर दिया गया लेकिन उसको कैसे लागू किया जाएगा, यह अस्पष्ट है। जैसे गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था का प्रबन्धक मजाक उड़ा रहे हैं और सरकार का शिक्षा विभाग कुछ कर नहीं पा रहा है। वैसा ही हाल फीस में मनमानी वृद्धि पर रोक लगाने का होगा।
स्थिति यह है कि सरकारी अकर्मण्यता के कारण बच्चों को स्कूल खुलने के समय किताबें नहीं मिल पाएगीं। जाड़ा जब बीत गया तब स्कूलों में आधे-अधूरे और दोयम दर्जे के स्वेटर बांटे गए। बस्ते, जूते-मोजे बंटे जो बहुत ही घटिया स्तर के हैं। बेमन से दबाव में कुछ को ही ये उपलब्ध हुए। तीन-चार महीने में ही वे फटने लगे। ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा‘ का उद्घोष प्रदेश में कहीं नजर नहीं आ रहा है।
भाजपा सरकार ने हर वह काम किया है जिससे नौजवानों में बेरोजगारी बढ़े और उनमें कुंठा पनपे। अभी परीक्षा में नकल रोकने के नाम पर कई लाख छात्र-छात्राओं को घर बैठा दिया। उनकी पढ़ाई पूरी नहीं होगी। पढ़ाई की पूरी व्यवस्था नहीं है, कोर्स पूरे नहीं हुए। रोजगार कहां है? मिलेगा नहीं। असंवेदनशीलता के चलते शिक्षा माफिया अपना एकाधिकार चला रहे हैं।
श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में ऐसी दुर्दशा नहीं थी। धांधली करनेवालों पर अंकुश था। समाजवादी सरकार में छात्र-छात्राओं को 18 लाख लैपटाॅप बांटे गए थे। मध्यान्ह् भोजन में फल वितरण की नई योजना शुरू की गई थी। बेसिक शिक्षा के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी पर 2,41,437 शिक्षकों की नियुक्ति हो गई थी। मेधावी छात्राओं को 30-30 हजार रूपए कन्या विद्याधन प्रदान किया गया था। अल्पसंख्यक और अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं को मुफ्त कोचिंग की सुविधा दी गई थी।
समाजवादी सरकार की प्राथमिकता में किसान, नौजवान, गरीब और गांव थे। शिक्षा की गुणवŸाा के साथ कौशल प्रशिक्षण का काम भी तब हुआ था। अखिलेश जी की प्रशासन पर लगातार नजर रहती थी इसलिए उनके समय धांधली की स्थिति नहीं होती थी। सबकों शिक्षा और सबको रोजगार के उद्देश्य की पूर्ति के लिए अखिलेश जी प्रतिबद्ध थे। भाजपा उनका क्या मुकाबला करेगी क्योंकि भाजपा की कोई शिक्षा नीति ही नहीं हैं।
भाजपा राज में उत्तर प्रदेश में हर मोर्चे पर स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं। अराजकता जैसी स्थिति है। भाजपा सरकार की मनमानी से जनता परेशान है और प्रशासन पंगु है। भाजपा सरकार का चेहरा जन विरोधी लगने लगा है। जनता यह कहने लगी है कि भाजपा से तो श्री अखिलेश यादव ही कई गुना बेहतर मुख्यमंत्री थे। अपने कार्यकाल में अखिलेश जी ने ही जो काम किए थे वही जनता को याद आ रहे हैं। जनता तो मुख्यमंत्री जी से यही पूछ रही है-‘सब कुछ लुटाके होश में आए तो क्या हुआ?
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