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मुस्कुराना छोड़ ठहाका लगाइए आप खूनी लखनऊ में हैं - पुण्य प्रसून बाजपाई

मुस्कुराना छोड़ ठहाका लगाइए आप खूनी लखनऊ में हैं . ---------------------------------------------------------------- " ना तो हम रुके हुये थे और ना ही आपत्तिजनक अवस्था में थे। हमारी ओर से कोई उकसावा नहीं था मगर कास्टेबल ने गोली चला दी। " ये लखनऊ की सना खान का बयान है, जो कार में ड्राइवर की बगल वाली सीट पर बैठी थी । और ड्राइवर की सीट पर उनका बॉस विवेक तिवारी बैठा हुआ था । दोनो ही एप्पल कंपनी में काम करने वाले प्रोफेनल्स हैं। और शाम ढलने के बाद अपनी कंपनी के एक कार्यक्रम से रात होने पर निकले तो किसी फिल्मी अंदाज में पुलिस कास्टेबल ने सामने से आकर सर्विस रिवाल्वर से गोली चली दी । जो कार के शीशे को भेदते हुये विवाक तिवारी के चेहरे के ठीक नीचे ठोडी में जा फंसी । और कैसे सामने मौत नाचती है और कैसे पुलिस हत्या कर देती है इसे अपने बॉस की हत्या के 30 घंटे बाद पुलिस की इजाजत मिलने पर सना खान ने कुछ यूं बताया , 'हम कार्यक्रम से निकले और सर ने कहा कि वह मुझे घर छोड़ देंगे। मकदूमपुर पुलिस पोस्ट के पास बायीं और से दो पुलिसवाले कार के बराबर आकर चलने लगे। वे चिल्लाये रुको ।

अरबों रुपये लुटाकर जो संसद पहुंचा, वह तो देश लूटेगा ही और सत्ता-संसद ही उसे बचाएगी 🔥

अरबों रुपये लुटाकर जो संसद पहुंचा, वह तो देश लूटेगा ही और सत्ता-संसद ही उसे बचाएगी ------------------------------------------------------------------------------ एक मार्च 2016 को विजय माल्या संसद के सेन्ट्रल हाल में वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलते हैं। दो मार्च को रात ग्यारह बजे दर्जन भर बक्सों के साथ जेय एयरवेज की फ्लाइट से लंदन रवाना हो जाते हैं। फ्लाइट के अधिकारी माल्या को विशेष यात्री के तौर पर सारी सुविधाये देते हैं। और उसके बाद देश में शुरु होता है माल्या के खिलाफ कार्रवाई करने का सिलसिला या कहें कार्रवाई दिखाने का सिलसिला। क्योंकि देश छोड़ने के बाद देश के 17 बैंक सुप्रीम कोर्ट में विजय माल्या के खिलाफ याचिका डालते हैं। जिसमें बैक से कर्ज लेकर अरबो रुपये ना लौटाने का जिक्र होता है और सभी बैंक गुहार लगाते है कि माल्या देश छोड़कर ना भाग जाये इस दिशा में जरुरी कार्रवाई करें। माल्या के देश छोडने के बाद ईडी भी माल्या के देश छोडने के बाद अपने एयरलाइन्स के लिये लिये गये 900 करोड रुपये देश से बाहर भेजने का केस दर्ज करता है। माल्या के देश छोडने के बाद 13 मार्च को हैदराबाद हाईकोर्

सामाजिक न्याय विकास यात्रा को Akhilesh Yadav ने दिखाई हरी झंडी🔥

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव एवं राष्ट्रीय महासचिव प्रो0 रामगोपाल यादव ने आज सैफई में हरी झंडी दिखाकर ‘सामाजिक न्याय एवं प्रजातंत्र बचाओं-देश बचाओं ‘ साइकिल यात्रा को दिल्ली के लिए रवाना किया। इस यात्रा की शुरूआत 27 अगस्त 2018 को गाजीपुर से हुई थी और इसका समापन 23 सितम्बर 2018 को जंतर-मंतर दिल्ली में होगा। साइकिल यात्रा के आयोजक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सर्वश्री अभिषेक यादव, आदिल हमजा और चंद्रशेखर चैधरी हैं।  इस अवसर पर सर्वश्री धर्मेन्द्र यादव सांसद, तेज प्रताप सिंह सांसद, राम सिंह शाक्य पूर्व सांसद, प्रदीप यादव पूर्व सांसद, राजू यादव विधायक तथा अरविन्द यादव एमएलसी भी उपस्थित थे।  सैफई में साइकिल चलाकर आए सैकड़ों नौजवानांे और उपस्थित कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए श्री अखिलेश यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय यात्रा के माध्यम से हम लोगों को सावधान करना चाहते हैं। भाजपा ने देश में जातियों के बीच नफरत फैलाने का काम किया है। हम चाहते हैं कि सबको आबादी के अनुपात में हक और सम्मान दिया जाए। किसी का हक न छीना जाए। सबको न्याय मिलना चाहिए। उ

भाजपा लोकतांत्रिक व्यवस्था की पवित्रता को नष्ट करने में लगी है - अखिलेश

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा लोकतांत्रिक व्यवस्था की पवित्रता को नष्ट करने में लगी है। साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के साथ समाज व्यवस्था को उलझाने की रणनीति बनाने में भाजपा को महारत है। उसके पास विकास का कोई एजेंडा नहीं है। भाजपा सरकारें निष्क्रियता की शिकार हैं। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता का नितांत अभाव दिखाई देता है। यह स्थिति लोकतंत्र के लिए चिंतनीय है।  श्री यादव आज पार्टी मुख्यालय मे ं पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जो गरीब व्यवस्था का शिकार है वही समाज की दौड़ में पिछड़ा हुआ है। जिनके पास दौलत है, सŸाा की ताकत है वही लोग आगे हैं। आबादी के आधार पर ह़क और सम्मान की व्यवस्था जब तक लागू न हो तब तक सरकारी योजनाओं में आनुपातिक भागीदारी मिलनी चाहिए। समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो यह व्यवस्था लागू की जाएगी। फिलहाल समाजवादी पार्टी की मांग जातीय जनगणना की है ताकि संख्या के हिसाब से भागीदारी तय हो सके।  श्री अखिलेश यादव ने कहा कि स्वतंत्र भारत में किसानों

बोलिए मोदी जी, देश को बोलने वाला नेता चाहिए था..बोलिए न... - रवीश कुमार

भाषणों के मास्टर कहे जाते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। 2013 के साल में जब वे डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रुपये के गिरने पर दहाड़ रहे थे तब लोग कहते थे कि वाह मोदी जी वाह। ये हुआ भाषण। ये भाषण नहीं देश का राशन है। हमें बोलने वाला नेता चाहिए। पेट को भोजन नहीं भाषण चाहिए। यह बात भी उन तक पहुंची ही होगी कि पब्लिक में बोलने वाले नेता का डिमांड है। बस उन्होंने भी बोलने में कोई कमी नहीं छोड़ी। पेट्रोल महंगा होता था, मोदी जी बोलते थे। रुपया गिरता था, मोदी जी बोलते थे। ट्विट पर रि-ट्विट। डिबेट पर डिबेट। 2018 में हम इस मोड़ पर पहुंचे हैं जहां 2013 का साल राष्ट्रीय फ्राड का साल नज़र आता है। जहां सब एक दूसरे से फ्राड कर रहे थे। 2014 आया। अख़बारों में मोदी जी की प्रशस्ति लिखना काम हो गया। जो प्रशस्ति नहीं लिखा, उसका लिखने का काम बंद हो गया। दो दो एंकरों की नौकरी ले ली गई। कुछ संपादक किनारे कर दिए गए। मीडिया को ख़त्म कर दिया गया। गोदी मीडिया के दौर में मैदान साफ है मगर प्रधानमंत्री पेट्रोल से लेकर रुपये पर बोल नहीं रहे हैं। नोटबंदी पर बोल नहीं रहे हैं। अभी तो मौका है। पहले से भी ज़्यादा कुछ भी

अखिलेश यादव ने प्रसिद्ध जैन मुनि श्री तरूण सागर जी महाराज के निधन पर गहरा शोक जताया !

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रसिद्ध जैन मुनि श्री तरूण सागर जी महाराज के निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा है कि उनके निधन से संत समाज में गहरा शून्य उत्पन्न हो गया है। वे अपने जैन समाज के अन्दर की बुराइयों की भी आलोचना करते रहे है जिससे उनके प्रवचन ‘कड़वे प्रवचन‘ के नाम से चर्चित है।  श्री यादव ने कहा कि श्री तरूण सागर ने 22 वर्ष की उम्र में जैन धर्म की दीक्षा ली थी। सन् 2016 में उन्होंने हरियाणा विधान सभा को भी सम्बोधित किया था। संथारा करते हुए मोक्ष प्राप्ति के समय उनकी आयु मात्र 51 वर्ष थी।

वाजपेयी बीजेपी के प्रतीक थे..मोदी सत्ता के प्रतीक हैं..तो देश 2019 किस रास्ते जाएगा !

पुण्य प्रसून बाजपाई की ऑनलाइन रिपोर्ट - वाजपेयी बीजेपी के प्रतीक थे..मोदी सत्ता के प्रतीक हैं..तो देश 2019 किस रास्ते जाएगा ! -------------------------------------------------------------------------------- अटल बिहारी वाजपेयी के बग़ैर बीजेपी कैसी होगी, ये तो 2014 में ही उभर गया, लेकिन नया सवाल नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी का है क्योंकि 2014 के जनादेश की पीठ पर सवार नरेंद्र मोदी ने बीजेपी कभी संभाली नहीं बल्कि सीधे सत्ता संभाली जिससे सत्ता के विचार बीजेपी से कम प्रभावित और सत्ता चलाने या बनाए रखने से ज़्यादा प्रभावित ही नजर आए. इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि जनसंघ से लेकर बीजेपी के जिस मिज़ाज को राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ से लेकर श्यामाप्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय या बलराज मधोक से होते हुए वाजपेयी-आडवाणी-जोशी ने मथा उस तरह नरेंद्र मोदी को कभी मौक़ा ही नहीं मिला कि वह बीजेपी को मथें. हां, नरेंद्र मोदी का मतलब सत्ता पाना हो गया और झटके में वह सवाल अतीत के गर्भ में चले गए कि संघ राजनीतिक शुद्धिकरण करता है और संघ के रास्ते राजनीति में आने वाले स्वयंसेवक अलग चाल, चरित्र और चेहरे

पुण्य प्रसून बाजपाई ने बताया - 2014 के जनादेश ने कैसे बदल दिया मीडिया को 🔥🔥🔥

2014 के जनादेश ने कैसे बदल दिया मीडिया को ---------------------------------------------------------- क्या वाकई भारतीय मीडिया को झुकने को कहा गया तो वह रेंगने लगा है। क्या वाकई भारतीय मीडिया की कीमत महज 30 से 35 हजार करोड की कमाई से जुड़ी है । क्या वाकई मीडिया पर नकेल कसने के लिये बिजनेस करो या धंधा बंद कर दो वाले हालात आ चुके हैं । हो जो भी पर इन सवालों के जवाब खोजने से पहले आपको लौट चलना होगा 4 बरस पहले। जब जनादेश ने लोकतंत्र की परिभाषा को ही बदलने वाले हालात एक शख्स के हाथ में दे दिये । यानी इससे पहले लोकतंत्र पटरी से ना उतरे जनादेश इस दिशा में गया । याद कीजिये इमरजेन्सी । याद कीजिये बोफोर्स । याद कीजिये मंडल कमंडल की सियासत । हिन्दुत्व की प्रयोगशाला में बाबरी मस्जिद विध्वंस । पर 2014 इसके उलट था ।क्योंकि इससे पहले तमाम दौर में मुद्दे थे लेकिन 2014 के जनादेश के पीछे कोई मुद्दा नहीं था बल्कि विकास की चकाचौंध का सपना और अतीत की हर बुरे हालातों को बेहतर बनाने का ऐसा दावा था जो कारपोरेट फंडिग के कंधे पर सवार था। जितना खर्च 1996, 1998,1999,2004,2009 के चुनाव में हुआ उन सब को मिलाक

After ABP News, Modi govt. pressurised Cartoonist Satish Acharya, asked not make cartoons critical of Modi ji !

After ABP News, Mail Today pressurised by Modi govt. Cartoonist Satish Acharya asked not make cartoons critical of Modi ji. Read What  Cartoonist Satish Acharya Says  DROP THE CARTOON AND CARRY A PHOTO! That’s how my cartoon column with Mail Today ended yesterday. That’s how the editor looked at a cartoon and cartoonist’s opinion. That’s how the editor chose to shut a voice! The cartoon he rejected was about how China is surrounding India by spreading influence in countries like Maldives and others. The editor said the cartoon is ‘Very defeatist and the China problem is being overplayed’ I thought it’s how a cartoonist looked at the growing influence of China around Indian interests. So I said it’s debatable and cartoonist’s opinion should be valued. And in response, he asked the news desk to drop the cartoon and carry a photo. I have been battling to protect my freedom, to protect the sanctity of a cartoon column, for many days. May be for the editor it’s just thr

Punya Prasun Bajpai का ऑनलाइन Master Stroke - 71 बरस बाद भी क्यों लगते हैं, "हमें चाहिए आजादी" के नारे

71 बरस बाद भी क्यों लगते हैं, "हमें चाहिए आजादी" के नारे ------------------------------------------------------------------- आजादी के 71 बरस पूरे होंगे और इस दौर में भी कोई ये कहे , हमें चाहिये आजादी । या फिर कोई पूछे, कितनी है आजादी। या फिर कानून का राज है कि नहीं। या फिर भीडतंत्र ही न्यायिक तंत्र हो जाए। और संविधान की शपथ लेकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदो में बैठी सत्ता कहे भीडतंत्र की जिम्मेदारी हमारी कहा वह तो अलग अलग राज्यों में संविधान की शपथ लेकर चल रही सरकारों की है। यानी संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी भीड़ का ही हिस्सा लगे। संवैधानिक संस्थायें बेमानी लगने लगे और राजनीतिक सत्ता की सबकुछ हो जाये । तो कोई भी परिभाषा या सभी परिभाषा मिलकर जिस आजादी का जिक्र आजादी के 71 बरस में हो रहा है क्या वह डराने वाली है या एक ऐसी उन्मुक्त्ता है जिसे लोकतंत्र का नाम दिया जा सकता है। और लोकतंत्र चुनावी सियासत की मुठ्ठी में कुछ इस तरह कैद हो चुका है, जिस आवाम को 71 बरस पहले आजादी मिली वही अवाम अब अपने एक वोट के आसरे दुनिया के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश में खुद को आजाद मानने का जश्न

लखनऊ: अखिलेश यादव ने जनेश्वर मिश्र पार्क में जनेश्वर मिश्र के 86 वें जन्मदिन पर दी श्रद्धांजलि

समाजवादी पार्टी की ओर से आज समाजवादी नेता छोटे लोहिया की 86वीं जयंती राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के सभी जनपदों में मनाई गई। लखनऊ में मुख्य समारोह जनेश्वर मिश्र पार्क, गोमतीनगर लखनऊ में सम्पन्न हुआ जहां उनकी प्रतिमा पर पूर्व रक्षामंत्री श्री मुलायम सिंह यादव ने पुष्पांजलि अर्पित की। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी कार्यालय जनेश्वर मिश्र ट्रस्ट कार्यालय और जनेश्वर मिश्र पार्क गोमतीनगर में माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।  श्री अखिलेश यादव ने इस अवसर पर श्री अरविन्द गिरि के नेतृत्व में बलिया से लखनऊ तक साइकिल यात्रा कर आए नौजवानों का स्वागत किया तथा उन्हें बधाई दी। श्री जय शंकर पाण्डेय, श्री अरूण त्रिपाठी और श्री अमरेश मिश्र द्वारा लिखित पुस्तक ‘जनेश्वर मिश्र एक योद्धा की समाजवादी यात्रा‘ का श्री अखिलेश यादव ने विमोचन किया। श्री उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने अपनी ‘जय जनेश्वर‘ पुस्तक भेंट की।  श्री अखिलेश यादव ने श्री मिश्र की याद करते हुए कहा कि वे गरीब, किसान, नौजवान सहित हर वर्ग के नेता थे। उन्होंने सांप्रदायिक ताकतों के विरू

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